Summary
'This is a thing to be performed.'-just on that ground whatever usual action is performed relinishing attachment and also fruit-that act of relinishment is deemed to be of the Sattva (Strand).
पदच्छेदः
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कार्यमित्येव | कार्य (√कृ + कृत्, १.१)–इति (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
यत्कर्म | यद् (१.१)–कर्मन् (१.१) |
नियतं | नियतम् (अव्ययः) |
क्रियते | क्रियते (√कृ प्र.पु. एक.) |
ऽर्जुन | अर्जुन (८.१) |
सङ्गं | सङ्ग (२.१) |
त्यक्त्वा | त्यक्त्वा (√त्यज् + क्त्वा) |
फलं | फल (२.१) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
स | तद् (१.१) |
त्यागः | त्याग (१.१) |
सात्त्विको | सात्त्विक (१.१) |
मतः | मत (√मन् + क्त, १.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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का | र्य | मि | त्ये | व | य | त्क | र्म |
नि | य | तं | क्रि | य | ते | ऽर्जु | न |
स | ङ्गं | त्य | क्त्वा | फ | लं | चै | व |
स | त्या | गः | सा | त्त्वि | को | म | तः |