Summary
O descendant of Bharata (O Dhrtarastra) ! Hrsikesa, as if [he was] smiling, spoke to him who was sinking in despondency in between two armies.
पदच्छेदः
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तमुवाच | तद् (२.१)–उवाच (√वच् लिट् प्र.पु. एक.) |
हृषीकेशः | हृषीकेश (१.१) |
प्रहसन्निव | प्रहसत् (√प्र-हस् + शतृ, १.१)–इव (अव्ययः) |
भारत | भारत (८.१) |
सेनयोरुभयोर्मध्ये | सेना (६.२)–उभय (६.२)–मध्य (७.१) |
स्थापयित्वा | स्थापयित्वा (√स्थापय् + क्त्वा) |
रथोत्तमम् | रथ–उत्तम (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | मु | वा | च | हृ | षी | के | शः |
प्र | ह | स | न्नि | व | भा | र | त |
से | न | यो | रु | भ | यो | र्म | ध्ये |
वि | षी | द | न्त | मि | दं | व | चः |