Summary
Sanjaya said O scorcher of foes (O Dhrtarastra) ! Having spoken to Hrsikesa (the master of sense-organs), Govinda (Krsna) in this manner, and having declared 'I will not fight', Gudakesa (Arjuna), became silent !
पदच्छेदः
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एवमुक्तो | एवम् (अव्ययः)–उक्त (√वच् + क्त, १.१) |
हृषीकेशो | हृषीकेश (१.१) |
गुडाकेशेन | गुडाकेश (३.१) |
भारत | भारत (८.१) |
न | न (अव्ययः) |
योत्स्य | योत्स्ये (√युध् लृट् उ.पु. ) |
इति | इति (अव्ययः) |
गोविन्दमुक्त्वा | गोविन्द (२.१)–उक्त्वा (√वच् + क्त्वा) |
तूष्णीं | तूष्णीम् (अव्ययः) |
बभूव | बभूव (√भू लिट् प्र.पु. एक.) |
ह | ह (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ए | व | मु | क्त्वा | हृ | षी | के | शं |
गु | डा | के | शः | प | रं | त | प |
न | यो | त्स्य | इ | ति | गो | वि | न्द |
मु | क्त्वा | तू | ष्णीं | ब | भू | व | ह |