Summary
Birth (or existence) does not happen to what is non-existent, and destruction (or non-existence) to what is existent; the finality of these two has been seen by the seers of the reality.
पदच्छेदः
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नासतो | न (अव्ययः)–असत् (६.१) |
विद्यते | विद्यते (√विद् प्र.पु. एक.) |
भावो | भाव (१.१) |
नाभावो | न (अव्ययः)–अभाव (१.१) |
विद्यते | विद्यते (√विद् प्र.पु. एक.) |
सतः | सत् (√अस् + शतृ, ६.१) |
उभयोरपि | उभय (६.२)–अपि (अव्ययः) |
दृष्टो | दृष्ट (√दृश् + क्त, १.१) |
ऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः | अन्त (१.१)–तु (अव्ययः)–इदम् (६.२)–तत्त्व–दर्शिन् (३.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ना | स | तो | वि | द्य | ते | भा | वो |
ना | भा | वो | वि | द्य | ते | स | तः |
उ | भ | यो | र | पि | दृ | ष्टो | ऽन्त |
स्त्व | न | यो | स्त | त्त्व | द | र्शि | भिः |