Summary
Whosever realises This to be changeless, destructionless, unborn and immutable, how can that person be slain; how can he either slay [any one] ? O son of Prtha !
पदच्छेदः
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वेदाविनाशिनं | वेद (√विद् लिट् प्र.पु. एक.)–अविनाशिन् (२.१) |
नित्यं | नित्य (२.१) |
य | यद् (१.१) |
एनमजमव्ययम् | एनद् (२.१)–अज (२.१)–अव्यय (२.१) |
कथं | कथम् (अव्ययः) |
स | तद् (१.१) |
पुरुषः | पुरुष (१.१) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
कं | क (२.१) |
घातयति | घातयति (√घातय् लट् प्र.पु. एक.) |
हन्ति | हन्ति (√हन् लट् प्र.पु. एक.) |
कम् | क (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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वे | दा | वि | ना | शि | नं | नि | त्यं |
य | ए | न | म | ज | म | व्य | यम् |
क | थं | स | पु | रु | षः | पा | र्थ |
कं | घा | त | य | ति | ह | न्ति | कम् |