Summary
This is declared to be non-evident, imponderable, and unchangeable. Therefore understanding This as such you should not lament.
पदच्छेदः
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अव्यक्तो | अव्यक्त (१.१) |
ऽयमचिन्त्यो | इदम् (१.१)–अचिन्त्य (१.१) |
ऽयमविकार्यो | इदम् (१.१)–अविकार्य (१.१) |
ऽयमुच्यते | इदम् (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
तस्मादेवं | तस्मात् (अव्ययः)–एवम् (अव्ययः) |
विदित्वैनं | विदित्वा (√विद् + क्त्वा)–एनद् (२.१) |
नानुशोचितुमर्हसि | न (अव्ययः)–अनुशोचितुम् (√अनु-शुच् + तुमुन्)–अर्हसि (√अर्ह् लट् म.पु. ) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | व्य | क्तो | ऽय | म | चि | न्त्यो | ऽय |
म | वि | का | र्यो | ऽय | मु | च्य | ते |
त | स्मा | दे | वं | वि | दि | त्वै | नं |
ना | नु | शो | चि | तु | म | र्ह | सि |