Summary
The creatures will speak of your endless ill-fame; and for the one who has been highly esteemed the illfame is worse than death.
पदच्छेदः
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अकीर्तिं | अकीर्ति (२.१) |
चापि | च (अव्ययः)–अपि (अव्ययः) |
भूतानि | भूत (१.३) |
कथयिष्यन्ति | कथयिष्यन्ति (√कथय् लृट् प्र.पु. बहु.) |
ते | त्वद् (६.१) |
ऽव्ययाम् | अव्यय (२.१) |
संभावितस्य | संभावित (√सम्-भावय् + क्त, ६.१) |
चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते | च (अव्ययः)–अकीर्ति (१.१)–मरण (५.१)–अतिरिच्यते (√अति-रिच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | की | र्तिं | चा | पि | भू | ता | नि |
क | थ | यि | ष्य | न्ति | ते | ऽव्य | याम् |
सं | भा | वि | त | स्य | चा | की | र्ति |
र्म | र | णा | द | ति | रि | च्य | ते |