Summary
Slandering your ability, the enemies will talk of you many sayings that should not be talked of. Is there anything more painful than that ?
पदच्छेदः
Click to Toggle
अवाच्यवादांश्च | अवाच्य–वाद (२.३)–च (अव्ययः) |
बहून्वदिष्यन्ति | बहु (२.३)–वदिष्यन्ति (√वद् लृट् प्र.पु. बहु.) |
तवाहिताः | त्वद् (६.१)–अहित (१.३) |
निन्दन्तस्तव | निन्दत् (√निन्द् + शतृ, १.३)–त्वद् (६.१) |
सामर्थ्यं | सामर्थ्य (२.१) |
ततो | ततस् (अव्ययः) |
दुःखतरं | दुःखतर (१.१) |
नु | नु (अव्ययः) |
किम् | क (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
अ | वा | च्य | वा | दां | श्च | ब | हू |
न्व | दि | ष्य | न्ति | त | वा | हि | ताः |
नि | न्द | न्त | स्त | व | सा | म | र्थ्यं |
त | तो | दुः | ख | त | रं | नु | किम् |