Summary
If you are slain you shall attain heaven; or if you coner, you shall enjoy the earth. Therefore, O son of Kunti ! stand up with resolution made in favour of [fighting] the battle.
पदच्छेदः
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हतो | हत (√हन् + क्त, १.१) |
वा | वा (अव्ययः) |
प्राप्स्यसि | प्राप्स्यसि (√प्र-आप् लृट् म.पु. ) |
स्वर्गं | स्वर्ग (२.१) |
जित्वा | जित्वा (√जि + क्त्वा) |
वा | वा (अव्ययः) |
भोक्ष्यसे | भोक्ष्यसे (√भुज् लृट् म.पु. ) |
महीम् | मही (२.१) |
तस्मादुत्तिष्ठ | तस्मात् (अव्ययः)–उत्तिष्ठ (√उत्-स्था लोट् म.पु. ) |
कौन्तेय | कौन्तेय (८.१) |
युद्धाय | युद्ध (४.१) |
कृतनिश्चयः | कृत (√कृ + क्त)–निश्चय (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ह | तो | वा | प्रा | प्स्य | सि | स्व | र्गं |
जि | त्वा | वा | भो | क्ष्य | से | म | हीम् |
त | स्मा | दु | त्ति | ष्ठ | कौ | न्ते | य |
यु | द्धा | य | कृ | त | नि | श्च | यः |