Summary
Viewing alike, pleasure and pain, gain and loss, victory and defeat, you should get then ready for the battle. Thus you will not incur sin.
पदच्छेदः
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सुखदुःखे | सुख–दुःख (२.२) |
समे | सम (२.२) |
कृत्वा | कृत्वा (√कृ + क्त्वा) |
लाभालाभौ | लाभ–अलाभ (२.२) |
जयाजयौ | जय–अजय (२.२) |
ततो | ततस् (अव्ययः) |
युद्धाय | युद्ध (४.१) |
युज्यस्व | युज्यस्व (√युज् म.पु. ) |
नैवं | न (अव्ययः)–एवम् (अव्ययः) |
पापमवाप्स्यसि | पाप (२.१)–अवाप्स्यसि (√अव-आप् लृट् म.पु. ) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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सु | ख | दुः | खे | स | मे | कृ | त्वा |
ला | भा | ला | भौ | ज | या | ज | यौ |
त | तो | यु | द्धा | य | यु | ज्य | स्व |
नै | वं | पा | प | म | वा | प्स्य | सि |