Summary
O Dhananjaya ! Established in the Yoga, perform actions, abandoning attachment, remaining even-minded in success and failure; for, the even-mindedness is said to be the Yoga.
पदच्छेदः
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योगस्थः | योग–स्थ (१.१) |
कुरु | कुरु (√कृ लोट् म.पु. ) |
कर्माणि | कर्मन् (२.३) |
सङ्गं | सङ्ग (२.१) |
त्यक्त्वा | त्यक्त्वा (√त्यज् + क्त्वा) |
धनंजय | धनंजय (८.१) |
सिद्ध्यसिद्ध्योः | सिद्धि–असिद्धि (७.२) |
समो | सम (१.१) |
भूत्वा | भूत्वा (√भू + क्त्वा) |
समत्वं | सम–त्व (१.१) |
योग | योग (१.१) |
उच्यते | उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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यो | ग | स्थः | कु | रु | क | र्मा | णि |
स | ङ्गं | त्य | क्त्वा | ध | नं | ज | य |
सि | द्ध्य | सि | द्ध्योः | स | मो | भू | त्वा |
स | म | त्वं | यो | ग | उ | च्य | ते |