Summary
From wrath delusion comes to be; from delusion is the loss of memory; from the loss of memory is the loss of capacity to decide; due to the loss of capacity to decide, he perishes outright.
पदच्छेदः
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क्रोधाद्भवति | क्रोध (५.१)–भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.) |
संमोहः | सम्मोह (१.१) |
संमोहात्स्मृतिविभ्रमः | सम्मोह (५.१)–स्मृति–विभ्रम (१.१) |
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो | स्मृति–भ्रंश (५.१)–बुद्धि–नाश (१.१) |
बुद्धिनाशात्प्रणश्यति | बुद्धि–नाश (५.१)–प्रणश्यति (√प्र-नश् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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क्रो | धा | द्भ | व | ति | सं | मो | हः |
सं | मो | हा | त्स्मृ | ति | वि | भ्र | मः |
स्मृ | ति | भ्रं | शा | द्बु | द्धि | ना | शो |
बु | द्धि | ना | शा | त्प्र | ण | श्य | ति |