Summary
That mind, which is directed to follow the wandering (enjoying) sense-organs-that mind carries away his knowledge just as wind does a ship on waters.
पदच्छेदः
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इन्द्रियाणां | इन्द्रिय (६.३) |
हि | हि (अव्ययः) |
चरतां | चरत् (√चर् + शतृ, ६.३) |
यन्मनो | यद् (१.१)–मनस् (१.१) |
ऽनुविधीयते | अनुविधीयते (√अनुवि-धा प्र.पु. एक.) |
तदस्य | तद् (१.१)–इदम् (६.१) |
हरति | हरति (√हृ लट् प्र.पु. एक.) |
प्रज्ञां | प्रज्ञा (२.१) |
वायुर्नावमिवाम्भसि | वायु (१.१)–नौ (२.१)–इव (अव्ययः)–अम्भस् (७.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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इ | न्द्रि | या | णां | हि | च | र | तां |
य | न्म | नो | ऽनु | वि | धी | य | ते |
त | द | स्य | ह | र | ति | प्र | ज्ञां |
वा | यु | र्ना | व | मि | वा | म्भ | सि |