Summary
Having created creatures formerly [at the time of creation] together with necessary action, the Lord of creatures declared : 'By means of this, you shalll propagate yourselves; and let this be your wish-fulfilling-cow.'
पदच्छेदः
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सहयज्ञाः | सह (अव्ययः)–यज्ञ (२.३) |
प्रजाः | प्रजा (२.३) |
सृष्ट्वा | सृष्ट्वा (√सृज् + क्त्वा) |
पुरोवाच | पुरा (अव्ययः)–उवाच (√वच् लिट् प्र.पु. एक.) |
प्रजापतिः | प्रजापति (१.१) |
अनेन | इदम् (३.१) |
प्रसविष्यध्वमेष | प्रसविष्यध्वम् (√प्र-सू लृङ् म.पु. द्वि.)–एतद् (१.१) |
वो | त्वद् (६.३) |
ऽस्त्विष्टकामधुक् | अस्तु (√अस् लोट् प्र.पु. एक.)–इष्ट (√इष् + क्त)–कामदुह् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | ह | य | ज्ञाः | प्र | जाः | सृ | ष्ट्वा |
पु | रो | वा | च | प्र | जा | प | तिः |
अ | ने | न | प्र | स | वि | ष्य | ध्व |
मे | ष | वो | ऽस्त्वि | ष्ट | का | म | धुक् |