Summary
Action arises from the Brahman, you should know this; the Brhaman arises from what does not stream forth; therefore the all-pervading Brahman is permanently based on the sacrifice.
पदच्छेदः
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कर्म | कर्मन् (२.१) |
ब्रह्मोद्भवं | ब्रह्मन्–उद्भव (२.१) |
विद्धि | विद्धि (√विद् लोट् म.पु. ) |
ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् | ब्रह्मन् (२.१)–अक्षर–समुद्भव (२.१) |
तस्मात्सर्वगतं | तस्मात् (अव्ययः)–सर्व–गत (√गम् + क्त, १.१) |
ब्रह्म | ब्रह्मन् (१.१) |
नित्यं | नित्यम् (अव्ययः) |
यज्ञे | यज्ञ (७.१) |
प्रतिष्ठितम् | प्रतिष्ठित (√प्रति-स्था + क्त, १.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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क | र्म | ब्र | ह्मो | द्भ | वं | वि | द्धि |
ब्र | ह्मा | क्ष | र | स | मु | द्भ | वम् |
त | स्मा | त्स | र्व | ग | तं | ब्र | ह्म |
नि | त्यं | य | ज्ञे | प्र | ति | ष्ठि | तम् |