Summary
Therefore, unattached always, you should perform action that is to be performed; for, the person, performing action without attachment, attains the Supreme.
पदच्छेदः
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तस्मादसक्तः | तस्मात् (अव्ययः)–असक्त (१.१) |
सततं | सततम् (अव्ययः) |
कार्यं | कार्य (√कृ + कृत्, २.१) |
कर्म | कर्मन् (२.१) |
समाचर | समाचर (√समा-चर् लोट् म.पु. ) |
असक्तो | असक्त (१.१) |
ह्याचरन्कर्म | हि (अव्ययः)–आचरत् (√आ-चर् + शतृ, १.१)–कर्मन् (२.१) |
परमाप्नोति | पर (२.१)–आप्नोति (√आप् लट् प्र.पु. एक.) |
पूरुषः | पूरुष (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | स्मा | द | स | क्तः | स | त | तं |
का | र्यं | क | र्म | स | मा | च | र |
अ | स | क्तो | ह्या | च | र | न्क | र्म |
प | र | मा | प्नो | ति | पू | रु | षः |