Summary
Even a man of knowledge acts in conformity to his own Prakrti, the elements go [back] to the Prakrti; [and] what will the restraint avail ?
पदच्छेदः
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सदृशं | सदृश (२.१) |
चेष्टते | चेष्टते (√चेष्ट् लट् प्र.पु. एक.) |
स्वस्याः | स्व (६.१) |
प्रकृतेर्ज्ञानवानपि | प्रकृति (६.१)–ज्ञानवत् (१.१)–अपि (अव्ययः) |
प्रकृतिं | प्रकृति (२.१) |
यान्ति | यान्ति (√या लट् प्र.पु. बहु.) |
भूतानि | भूत (१.३) |
निग्रहः | निग्रह (१.१) |
किं | क (२.१) |
करिष्यति | करिष्यति (√कृ लृट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | दृ | शं | चे | ष्ट | ते | स्व | स्याः |
प्र | कृ | ते | र्ज्ञा | न | वा | न | पि |
प्र | कृ | तिं | या | न्ति | भू | ता | नि |
नि | ग्र | हः | किं | क | रि | ष्य | ति |