Summary
Different are the sense-organs [from their objects], they say; from the sense-organs different is the mind; from the mind too the intellect is different; what is different from the intellect is That (Self).
पदच्छेदः
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इन्द्रियाणि | इन्द्रिय (१.३) |
प्रमाथीनि | प्रमाथिन् (१.३) |
हरन्ति | हरन्ति (√हृ लट् प्र.पु. बहु.) |
प्रसभं | प्रसभम् (अव्ययः) |
मनः | मनस् (२.१) |
मनसस्तु | मनस् (५.१)–तु (अव्ययः) |
परा | पर (१.१) |
बुद्धिर् | बुद्धि (१.१) |
यो | यद् (१.१) |
बुद्धेः | बुद्धि (५.१) |
परतस्तु | परतस् (अव्ययः)–तु (अव्ययः) |
सः | तद् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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इ | न्द्रि | या | णि | प | रा | ण्या | हु |
रि | न्द्रि | ये | भ्यः | प | रं | म | नः |
म | न | स | स्तु | प | रा | बु | द्धि |
र्यो | बु | द्धेः | प | र | त | स्तु | सः |