Summary
Thus being conscious : 'That is different from the intellect'; and steadying the self with the self; kill the foe that is of the form of desire and that is hard to approach.
पदच्छेदः
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एवं | एवम् (अव्ययः) |
बुद्धेः | बुद्धि (५.१) |
परं | पर (२.१) |
बुद्ध्वा | बुद्ध्वा (√बुध् + क्त्वा) |
संस्तभ्यात्मानमात्मना | संस्तभ्य (√सम्-स्तम्भ् + ल्यप्)–आत्मन् (२.१)–आत्मन् (३.१) |
जहि | जहि (√हा लोट् म.पु. ) |
शत्रुं | शत्रु (२.१) |
महाबाहो | महत्–बाहु (८.१) |
कामरूपं | काम–रूप (२.१) |
दुरासदम् | दुरासद (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ए | वं | बु | द्धेः | प | रं | बु | द्ध्वा |
सं | स्त | भ्या | त्मा | न | मा | त्म | ना |
ज | हि | श | त्रुं | म | हा | बा | हो |
का | म | रू | पं | दु | रा | स | दम् |