Summary
The Bhagavat said This changeless Yoga I had properly taught thus to Vivasvat; Vivasvat correctly told it ot Manu; and Manu declared to Iksvaku.
पदच्छेदः
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इमं | इदम् (२.१) |
विवस्वते | विवस्वन्त् (४.१) |
योगं | योग (२.१) |
प्रोक्तवानहमव्ययम् | प्रोक्तवत् (√प्र-वच् + क्तवतु, १.१)–मद् (१.१)–अव्यय (२.१) |
विवस्वान्मनवे | विवस्वन्त् (१.१)–मनु (४.१) |
प्राह | प्राह (√प्र-अह् लिट् प्र.पु. एक.) |
मनुरिक्ष्वाकवे | मनु (१.१)–इक्ष्वाकु (४.१) |
ऽब्रवीत् | अब्रवीत् (√ब्रू लङ् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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इ | मं | वि | व | स्व | ते | यो | गं |
प्रो | क्त | वा | न | ह | म | व्य | यम् |
वि | व | स्वा | न्म | न | वे | प्रा | ह |
म | नु | रि | क्ष्वा | क | वे | ऽब्र | वीत् |