Summary
Those, who are desirous of success of their actions, perform sacrifices intending the deities. For, the success born of [ritualistic] actions is ick in the world of men.
पदच्छेदः
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काङ्क्षन्तः | काङ्क्षत् (√काङ्क्ष् + शतृ, १.३) |
कर्मणां | कर्मन् (६.३) |
सिद्धिं | सिद्धि (२.१) |
यजन्त | यजत् (√यज् + शतृ, १.३) |
इह | इह (अव्ययः) |
देवताः | देवता (२.३) |
क्षिप्रं | क्षिप्रम् (अव्ययः) |
हि | हि (अव्ययः) |
मानुषे | मानुष (७.१) |
लोके | लोक (७.१) |
सिद्धिर्भवति | सिद्धि (१.१)–भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.) |
कर्मजा | कर्मन्–ज (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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का | ङ्क्ष | न्तः | क | र्म | णां | सि | द्धिं |
य | ज | न्त | इ | ह | दे | व | ताः |
क्षि | प्रं | हि | मा | नु | षे | लो | के |
सि | द्धि | र्भ | व | ति | क | र्म | जा |