Summary
Something has got to be understand of [good] action also; and something is to be understood of the wrong action; and something is to be understood of non-action. Difficult is to comprehend the way of action.
पदच्छेदः
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कर्मणो | कर्मन् (६.१) |
ह्यपि | हि (अव्ययः)–अपि (अव्ययः) |
बोद्धव्यं | बोद्धव्य (√बुध् + कृत्, १.१) |
बोद्धव्यं | बोद्धव्य (√बुध् + कृत्, १.१) |
च | च (अव्ययः) |
विकर्मणः | विकर्मन् (६.१) |
अकर्मणश्च | अकर्मन् (६.१)–च (अव्ययः) |
बोद्धव्यं | बोद्धव्य (√बुध् + कृत्, १.१) |
गहना | गहन (१.१) |
कर्मणो | कर्मन् (६.१) |
गतिः | गति (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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क | र्म | णो | ह्य | पि | बो | द्ध | व्यं |
बो | द्ध | व्यं | च | वि | क | र्म | णः |
अ | क | र्म | ण | श्च | बो | द्ध | व्यं |
ग | ह | ना | क | र्म | णो | ग | तिः |