Summary
He, who finds non-action in the action, and action in the non-action, is an intelligent one, among men and is said to be a performer or destroyer of all actions.
पदच्छेदः
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कर्मण्यकर्म | कर्मन् (७.१)–अकर्मन् (२.१) |
यः | यद् (१.१) |
पश्येदकर्मणि | पश्येत् (√पश् विधिलिङ् प्र.पु. एक.)–अकर्मन् (७.१) |
च | च (अव्ययः) |
कर्म | कर्मन् (२.१) |
यः | यद् (१.१) |
स | तद् (१.१) |
बुद्धिमान्मनुष्येषु | बुद्धिमत् (१.१)–मनुष्य (७.३) |
स | तद् (१.१) |
युक्तः | युक्त (√युज् + क्त, १.१) |
कृत्स्नकर्मकृत् | कृत्स्न–कर्मन्–कृत् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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क | र्म | ण्य | क | र्म | यः | प | श्ये |
द | क | र्म | णि | च | क | र्म | यः |
स | बु | द्धि | मा | न्म | नु | ष्ये | षु |
स | यु | क्तः | कृ | त्स्न | क | र्म | कृत् |