Summary
Certain other men of Yoga are completely devoted to yajna, connected with the devas and offer that yajna, simply as a yajna, into the insatiable fire of the Brahman.
पदच्छेदः
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दैवमेवापरे | दैव (२.१)–एव (अव्ययः)–अपर (७.१) |
यज्ञं | यज्ञ (२.१) |
योगिनः | योगिन् (१.३) |
पर्युपासते | पर्युपासते (√पर्युप-आस् लट् प्र.पु. बहु.) |
ब्रह्माग्नावपरे | ब्रह्मन्–अग्नि (७.१)–अपर (१.३) |
यज्ञं | यज्ञ (२.१) |
यज्ञेनैवोपजुह्वति | यज्ञ (३.१)–एव (अव्ययः)–उपजुह्वति (√उप-हु लट् प्र.पु. बहु.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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दै | व | मे | वा | प | रे | य | ज्ञं |
यो | गि | नः | प | र्यु | पा | स | ते |
ब्र | ह्मा | ग्ना | व | प | रे | य | ज्ञं |
य | ज्ञे | नै | वो | प | जु | ह्व | ति |