Summary
Some others offer all actions of their sense-organs and the actions of their life-breath into the fire of Yoga of the self control, set ablaze by wisdom.
पदच्छेदः
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सर्वाणीन्द्रियकर्माणि | सर्व (२.३)–इन्द्रिय–कर्मन् (२.३) |
प्राणकर्माणि | प्राण–कर्मन् (२.३) |
चापरे | च (अव्ययः)–अपर (१.३) |
आत्मसंयमयोगाग्नौ | आत्मन्–संयम–योग–अग्नि (७.१) |
जुह्वति | जुह्वति (√हु लट् प्र.पु. बहु.) |
ज्ञानदीपिते | ज्ञान–दीपित (√दीपय् + क्त, ७.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | र्वा | णी | न्द्रि | य | क | र्मा | णि |
प्रा | ण | क | र्मा | णि | चा | प | रे |
आ | त्म | सं | य | म | यो | गा | ग्नौ |
जु | ह्व | ति | ज्ञा | न | दी | पि | ते |