Summary
The self-same ancient Yoga has been taught now by Me to you on the ground that you are My devotee and friend too. This is the highest secret.
पदच्छेदः
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स | तद् (१.१) |
एवायं | एव (अव्ययः)–इदम् (१.१) |
मया | मद् (३.१) |
ते | त्वद् (४.१) |
ऽद्य | अद्य (अव्ययः) |
योगः | योग (१.१) |
प्रोक्तः | प्रोक्त (√प्र-वच् + क्त, १.१) |
पुरातनः | पुरातन (१.१) |
भक्तो | भक्त (१.१) |
ऽसि | असि (√अस् लट् म.पु. ) |
मे | मद् (६.१) |
सखा | सखि (१.१) |
चेति | च (अव्ययः)–इति (अव्ययः) |
रहस्यं | रहस्य (१.१) |
ह्येतदुत्तमम् | हि (अव्ययः)–एतद् (१.१)–उत्तम (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | ए | वा | यं | म | या | ते | ऽद्य |
यो | गः | प्रो | क्तः | पु | रा | त | नः |
भ | क्तो | ऽसि | मे | स | खा | चे | ति |
र | ह | स्यं | ह्ये | त | दु | त्त | मम् |