Summary
Arjuna said Your birth is later, [while] the birth of Vivasvat is earlier; how am then to understand that You had properly taught [him this] in the beginnig ?
पदच्छेदः
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अपरं | अपर (१.१) |
भवतो | भवत् (६.१) |
जन्म | जन्मन् (१.१) |
परं | पर (१.१) |
जन्म | जन्मन् (१.१) |
विवस्वतः | विवस्वन्त् (६.१) |
कथमेतद्विजानीयां | कथम् (अव्ययः)–एतद् (२.१)–विजानीयाम् (√वि-ज्ञा विधिलिङ् उ.पु. ) |
त्वमादौ | त्वद् (१.१)–आदौ (अव्ययः) |
प्रोक्तवानिति | प्रोक्तवत् (√प्र-वच् + क्तवतु, १.१)–इति (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | प | रं | भ | व | तो | ज | न्म |
प | रं | ज | न्म | वि | व | स्व | तः |
क | थ | मे | त | द्वि | जा | नी | यां |
त्व | मा | दौ | प्रो | क्त | वा | नि | ति |