Summary
Thus, sacrifices of many varieties have been elaborated in the mouth of the Brahman. Know them all as having sprung from actions. By knowing thus you shall be liberated.
पदच्छेदः
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एवं | एवम् (अव्ययः) |
बहुविधा | बहुविध (१.३) |
यज्ञा | यज्ञ (१.३) |
वितता | वितत (√वि-तन् + क्त, १.३) |
ब्रह्मणो | ब्रह्मन् (६.१) |
मुखे | मुख (७.१) |
कर्मजान्विद्धि | कर्मन्–ज (२.३)–विद्धि (√विद् लोट् म.पु. ) |
तान्सर्वान् | तद् (२.३)–सर्व (२.३) |
एवं | एवम् (अव्ययः) |
ज्ञात्वा | ज्ञात्वा (√ज्ञा + क्त्वा) |
विमोक्ष्यसे | विमोक्ष्यसे (√वि-मुच् लृट् म.पु. ) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ए | वं | ब | हु | वि | धा | य | ज्ञा |
वि | त | ता | ब्र | ह्म | णो | मु | खे |
क | र्म | जा | न्वि | द्धि | ता | न्स | र्वा |
ने | वं | ज्ञा | त्वा | वि | मो | क्ष्य | से |