Summary
The sacrifice by knowledge is superior to the sacrifice by material. O son of Prtha, scorcher of foes ! All actions, leaving no bit, meet their total end in knowledge.
पदच्छेदः
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श्रेयान्द्रव्यमयाद्यज्ञाज्ज्ञानयज्ञः | श्रेयस् (१.१)–द्रव्य–मय (५.१)–यज्ञ (५.१)–ज्ञान–यज्ञ (१.१) |
परंतप | परंतप (८.१) |
सर्वं | सर्व (१.१) |
कर्माखिलं | कर्मन् (१.१)–अखिल (१.१) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
ज्ञाने | ज्ञान (७.१) |
परिसमाप्यते | परिसमाप्यते (√परिसम्-आप् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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श्रे | या | न्द्र | व्य | म | या | द्य | ज्ञा |
ज्ज्ञा | न | य | ज्ञः | प | रं | त | प |
स | र्वं | क | र्मा | खि | लं | पा | र्थ |
ज्ञा | ने | प | रि | स | मा | प्य | ते |