Summary
Even if you are the highest sinner amongst all sinners, you shall cross over [the ocean of] all the sin just by the boat of knowledge.
पदच्छेदः
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अपि | अपि (अव्ययः) |
चेदसि | चेद् (अव्ययः)–असि (√अस् लट् म.पु. ) |
पापेभ्यः | पाप (५.३) |
सर्वेभ्यः | सर्व (५.३) |
पापकृत्तमः | पाप–कृत्तम (१.१) |
सर्वं | सर्व (२.१) |
ज्ञानप्लवेनैव | ज्ञान–प्लव (३.१)–एव (अव्ययः) |
वृजिनं | वृजिन (२.१) |
संतरिष्यसि | संतरिष्यसि (√सम्-तृ लृट् म.पु. ) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | पि | चे | द | सि | पा | पे | भ्यः |
स | र्वे | भ्यः | पा | प | कृ | त्त | मः |
स | र्वं | ज्ञा | न | प्ल | वे | नै | व |
वृ | जि | नं | सं | त | रि | ष्य | सि |