Summary
Just as the fire, well inflamed, reduces the fuels to ashes, so also the fire of knowledge reduces all actions to ashes.
पदच्छेदः
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यथैधांसि | यथा (अव्ययः)–एधस् (२.३) |
समिद्धो | समिद्ध (√सम्-इन्ध् + क्त, १.१) |
ऽग्निर्भस्मसात्कुरुते | अग्नि (१.१)–भस्मसात् (अव्ययः)–कुरुते (√कृ लट् प्र.पु. एक.) |
ऽर्जुन | अर्जुन (८.१) |
ज्ञानाग्निः | ज्ञान–अग्नि (१.१) |
सर्वकर्माणि | सर्व–कर्मन् (२.३) |
भस्मसात्कुरुते | भस्मसात् (अव्ययः)–कुरुते (√कृ लट् प्र.पु. एक.) |
तथा | तथा (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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य | थै | धां | सि | स | मि | द्धो | ऽग्नि |
र्भ | स्म | सा | त्कु | रु | ते | ऽर्जु | न |
ज्ञा | ना | ग्निः | स | र्व | क | र्मा | णि |
भ | स्म | सा | त्कु | रु | ते | त | था |