Summary
Whosoever knows thus correctly the divine birth and action of Mine, he, on abandoning the body does not go to rirth, [but] goes to Me, O Arjuna !
पदच्छेदः
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जन्म | जन्मन् (२.१) |
कर्म | कर्मन् (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
दिव्यमेवं | दिव्य (२.१)–एवम् (अव्ययः) |
यो | यद् (१.१) |
वेत्ति | वेत्ति (√विद् लट् प्र.पु. एक.) |
तत्त्वतः | तत्त्व (५.१) |
त्यक्त्वा | त्यक्त्वा (√त्यज् + क्त्वा) |
देहं | देह (२.१) |
पुनर्जन्म | पुनर्जन्मन् (२.१) |
नैति | न (अव्ययः)–एति (√इ लट् प्र.पु. एक.) |
मामेति | मद् (२.१)–एति (√इ लट् प्र.पु. एक.) |
सो | तद् (१.१) |
ऽर्जुन | अर्जुन (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ज | न्म | क | र्म | च | मे | दि | व्य |
मे | वं | यो | वे | त्ति | त | त्त्व | तः |
त्य | क्त्वा | दे | हं | पु | न | र्ज | न्म |
नै | ति | मा | मे | ति | सो | ऽर्जु | न |