Summary
Arjuna said O krsna, you commend renunciation of action and again the Yoga of action; which one of these two is superior [to the other] ? Please tell me that for certain.
पदच्छेदः
Click to Toggle
संन्यासं | संन्यास (२.१) |
कर्मणां | कर्मन् (६.३) |
कृष्ण | कृष्ण (८.१) |
पुनर्योगं | पुनर् (अव्ययः)–योग (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
शंससि | शंससि (√शंस् लट् म.पु. ) |
यच्छ्रेय | यद् (१.१)–श्रेयस् (१.१) |
एतयोरेकं | एतद् (६.२)–एक (१.१) |
तन्मे | तद् (२.१)–मद् (४.१) |
ब्रूहि | ब्रूहि (√ब्रू लोट् म.पु. ) |
सुनिश्चितम् | सु (अव्ययः)–निश्चितम् (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
सं | न्या | सं | क | र्म | णां | कृ | ष्ण |
पु | न | र्यो | गं | च | शं | स | सि |
य | च्छ्रे | य | ए | त | यो | रे | कं |
त | न्मे | ब्रू | हि | सु | नि | श्चि | तम् |