Summary
The Bhagavat said Both renunciation and the Yoga of action effect salvation. But, of these two, the Yoga of action is better than renunciation of action.
पदच्छेदः
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संन्यासः | संन्यास (१.१) |
कर्मयोगश्च | कर्मन्–योग (१.१)–च (अव्ययः) |
निःश्रेयसकरावुभौ | निःश्रेयस–कर (१.२)–उभ् (१.२) |
कर्मेन्द्रियैः | कर्मेन्द्रिय (३.३) |
कर्मयोगमसक्तः | कर्मन्–योग (२.१)–असक्त (१.१) |
स | तद् (१.१) |
विशिष्यते | विशिष्यते (√वि-शिष् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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सं | न्या | सः | क | र्म | यो | ग | श्च |
निः | श्रे | य | स | क | रा | वु | भौ |
त | यो | स्तु | क | र्म | सं | न्या | सा |
त्क | र्म | यो | गो | वि | शि | ष्य | ते |