Summary
What state is reached by men of knowledge-path the same is reached by men of Yoga subseently. [So] whosoever sees the knowledge-path and the Yoga to be one, he sees [correctly].
पदच्छेदः
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यत्सांख्यैः | यद् (१.१)–सांख्य (३.३) |
प्राप्यते | प्राप्यते (√प्र-आप् प्र.पु. एक.) |
स्थानं | स्थान (१.१) |
तद्योगैरपि | तद् (१.१)–योग (३.३)–अपि (अव्ययः) |
गम्यते | गम्यते (√गम् प्र.पु. एक.) |
एकं | एक (२.१) |
सांख्यं | सांख्य (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
योगं | योग (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
यः | यद् (१.१) |
पश्यति | पश्यति (√दृश् लट् प्र.पु. एक.) |
स | तद् (१.१) |
पश्यति | पश्यति (√दृश् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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य | त्सां | ख्यैः | प्रा | प्य | ते | स्था | नं |
त | द्यो | गै | र | पि | ग | म्य | ते |
ए | कं | सां | ख्यं | च | यो | गं | च |
यः | प | श्य | ति | स | प | श्य | ति |