Summary
O mighty-armed (Arjuna) ! Renunciation is certainly hard to attain excepting through Yoga; the sage who is the master of Yoga attains the Brahman, before long.
पदच्छेदः
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संन्यासस्तु | संन्यास (१.१)–तु (अव्ययः) |
महाबाहो | महत्–बाहु (८.१) |
दुःखमाप्तुमयोगतः | दुःखम् (अव्ययः)–आप्तुम् (√आप् + तुमुन्)–अ (अव्ययः)–योग (५.१) |
योगयुक्तो | योग–युक्त (√युज् + क्त, १.१) |
मुनिर्ब्रह्म | मुनि (१.१)–ब्रह्मन् (२.१) |
नचिरेणाधिगच्छति | नचिरेण (अव्ययः)–अधिगच्छति (√अधि-गम् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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सं | न्या | स | स्तु | म | हा | बा | हो |
दुः | ख | मा | प्तु | म | यो | ग | तः |
यो | ग | यु | क्तो | मु | नि | र्ब्र | ह्म |
न | चि | रे | णा | धि | ग | च्छ | ति |