Summary
A master of Yoga, knowing the reality would think 'I do not perform any action at all'. For, he who, while seeing, hearing, touching, smelling, eating, going, sleeping and breathing;
पदच्छेदः
Click to Toggle
नैव | न (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
किंचित्करोमीति | कश्चित् (२.१)–करोमि (√कृ लट् उ.पु. )–इति (अव्ययः) |
युक्तो | युक्त (√युज् + क्त, १.१) |
मन्येत | मन्येत (√मन् विधिलिङ् प्र.पु. एक.) |
तत्त्ववित् | तत्त्व–विद् (१.१) |
पश्यञ्शृण्वन्स्पृशञ्जिघ्रन्नश्नन्गच्छन्स्वपञ्श्वसन् | पश्यत् (√दृश् + शतृ, १.१)–शृण्वत् (√श्रु + शतृ, १.१)–स्पृशत् (√स्पृश् + शतृ, १.१)–जिघ्रत् (√घ्रा + शतृ, १.१)–अश्नत् (√अश् + शतृ, १.१)–गच्छत् (√गम् + शतृ, १.१)–स्वपत् (√स्वप् + शतृ, १.१)–श्वसत् (√श्वस् + शतृ, १.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
नै | व | किं | चि | त्क | रो | मी | ति |
यु | क्तो | म | न्ये | त | त | त्त्व | वित् |
प | श्य | ञ्शृ | ण्व | न्स्पृ | श | ञ्जि | घ्र |
न्न | श्न | न्ग | च्छ | न्स्व | प | ञ्श्व | सन् |