Summary
The Yoga becomes a misery-killer for him whose effort for food is appropriate, exertion in activities is proper, and sleep and waking are proportionate.
पदच्छेदः
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युक्ताहारविहारस्य | युक्त (√युज् + क्त)–आहार–विहार (६.१) |
युक्तचेष्टस्य | युक्त–चेष्टा (६.१) |
कर्मसु | कर्मन् (७.३) |
युक्तस्वप्नावबोधस्य | युक्त (√युज् + क्त)–स्वप्न–अवबोध (६.१) |
योगो | योग (१.१) |
भवति | भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.) |
दुःखहा | दुःख–हन् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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यु | क्ता | हा | र | वि | हा | र | स्य |
यु | क्त | चे | ष्ट | स्य | क | र्म | सु |
यु | क्त | स्व | प्ना | व | बो | ध | स्य |
यो | गो | भ | व | ति | दुः | ख | हा |