Summary
By whatever things the shaky and unsteady mind goes astray, from those things let him restrain it and bring it back to the control of the Self alone.
पदच्छेदः
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यतो | यतस् (अव्ययः) |
यतो | यतस् (अव्ययः) |
निश्चरति | निश्चरति (√निः-चर् लट् प्र.पु. एक.) |
मनश्चञ्चलमस्थिरम् | मनस् (१.१)–चञ्चल (१.१)–अस्थिर (१.१) |
ततस्ततो | ततस् (अव्ययः)–ततस् (अव्ययः) |
नियम्यैतदात्मन्येव | नियम्य (√नि-यम् + ल्यप्)–एतद् (२.१)–आत्मन् (७.१)–एव (अव्ययः) |
वशं | वश (२.१) |
नयेत् | नयेत् (√नी विधिलिङ् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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य | तो | य | तो | नि | श्च | र | ति |
म | न | श्च | ञ्च | ल | म | स्थि | रम् |
त | त | स्त | तो | नि | य | म्यै | त |
दा | त्म | न्ये | व | व | शं | न | येत् |