Summary
For a sage, who is desirous of mounting upon the Yoga, action is said to be the cause; for the same [sage], when he has mounted upon the Yoga, ietude is said to be the cause.
पदच्छेदः
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आरुरुक्षोर्मुनेर्योगं | आरुरुक्षु (६.१)–मुनि (६.१)–योग (२.१) |
कर्म | कर्मन् (१.१) |
कारणमुच्यते | कारण (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
योगारूढस्य | योग–आरूढ (√आ-रुह् + क्त, ६.१) |
तस्यैव | तद् (६.१)–एव (अव्ययः) |
शमः | शम (१.१) |
कारणमुच्यते | कारण (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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आ | रु | रु | क्षो | र्मु | ने | र्यो | गं |
क | र्म | का | र | ण | मु | च्य | ते |
यो | गा | रू | ढ | स्य | त | स्यै | व |
श | मः | का | र | ण | मु | च्य | ते |