Summary
My belief is that attaining Yoga is difficult for a man of uncontrolled self (mind); but it is possible to attain by [proper] means by a person who exerts with his subdued self.
पदच्छेदः
Click to Toggle
असंयतात्मना | असंयत–आत्मन् (३.१) |
योगो | योग (१.१) |
दुष्प्राप | दुष्प्राप (१.१) |
इति | इति (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
मतिः | मति (१.१) |
वश्यात्मना | वश्य–आत्मन् (३.१) |
तु | तु (अव्ययः) |
यतता | यतत् (√यत् + शतृ, ३.१) |
शक्यो | शक्य (१.१) |
ऽवाप्तुमुपायतः | अवाप्तुम् (√अव-आप् + तुमुन्)–उपाय (५.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
अ | सं | य | ता | त्म | ना | यो | गो |
दु | ष्प्रा | प | इ | ति | मे | म | तिः |
व | श्या | त्म | ना | तु | य | त | ता |
श | क्यो | ऽवा | प्तु | मु | पा | य | तः |