Summary
Does he, fallen from both, get lost like a broken cloud ? Or, O mighty-armed ! having no support, does he meet total destruction ?
पदच्छेदः
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कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव | कच्चित् (अव्ययः)–न (अव्ययः)–उभय–विभ्रष्ट (√वि-भ्रंश् + क्त, १.१)–छिन्न (√छिद् + क्त)–अभ्र (१.१)–इव (अव्ययः) |
नश्यति | नश्यति (√नश् लट् प्र.पु. एक.) |
अप्रतिष्ठो | अप्रतिष्ठ (१.१) |
महाबाहो | महत्–बाहु (८.१) |
विमूढो | विमूढ (√वि-मुह् + क्त, १.१) |
ब्रह्मणः | ब्रह्मन् (६.१) |
पथि | पथिन् (७.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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क | च्चि | न्नो | भ | य | वि | भ्र | ष्ट |
श्छि | न्ना | भ्र | मि | व | न | श्य | ति |
अ | प्र | ति | ष्ठो | म | हा | बा | हो |
वि | मू | ढो | ब्र | ह्म | णः | प | थि |