Summary
Please dispel this doubt of mine completely. But for Yourself, O Krsna, no eradicator of this doubt is possible.
पदच्छेदः
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एतन्मे | एतद् (२.१)–मद् (६.१) |
संशयं | संशय (२.१) |
कृष्ण | कृष्ण (८.१) |
छेत्तुमर्हस्यशेषतः | छेत्तुम् (√छिद् + तुमुन्)–अर्हसि (√अर्ह् लट् म.पु. )–अशेषतस् (अव्ययः) |
त्वदन्यः | त्वद् (५.१)–अन्य (१.१) |
संशयस्यास्य | संशय (६.१)–इदम् (६.१) |
छेत्ता | छेत्तृ (१.१) |
न | न (अव्ययः) |
ह्युपपद्यते | हि (अव्ययः)–उपपद्यते (√उप-पद् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ए | त | न्मे | सं | श | यं | कृ | ष्ण |
छे | त्तु | म | र्ह | स्य | शे | ष | तः |
त्व | द | न्यः | सं | श | य | स्या | स्य |
छे | त्ता | न | ह्यु | प | प | द्य | ते |