Summary
There in that life, he gains (regains) that link of mentality transmitted from his former body. Conseently once again he strives for a full success, O rejoicer of the Kurus !
पदच्छेदः
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तत्र | तत्र (अव्ययः) |
तं | तद् (२.१) |
बुद्धिसंयोगं | बुद्धि–संयोग (२.१) |
लभते | लभते (√लभ् लट् प्र.पु. एक.) |
पौर्वदेहिकम् | पौर्वदेहिक (२.१) |
यतते | यतते (√यत् लट् प्र.पु. एक.) |
च | च (अव्ययः) |
ततो | ततस् (अव्ययः) |
भूयः | भूयस् (अव्ययः) |
संसिद्धौ | संसिद्धि (७.१) |
कुरुनन्दन | कुरु–नन्दन (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | त्र | तं | बु | द्धि | सं | यो | गं |
ल | भ | ते | पौ | र्व | दे | हि | कम् |
य | त | ते | च | त | तो | भू | यः |
सं | सि | द्धौ | कु | रु | न | न्द | न |