Summary
The man of Yoga is superior to the men of austerities and is considered superior even to the men of knowledge; and the man of Yoga is superior to the men of action. Therefore, O Arjuna ! you shall become a man of Yoga.
पदच्छेदः
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तपस्विभ्यो | तपस्विन् (५.३) |
ऽधिको | अधिक (१.१) |
योगी | योगिन् (१.१) |
ज्ञानिभ्यो | ज्ञानिन् (५.३) |
ऽपि | अपि (अव्ययः) |
मतो | मत (√मन् + क्त, १.१) |
ऽधिकः | अधिक (१.१) |
कर्मिभ्यश्चाधिको | कर्मिन् (५.३)–च (अव्ययः)–अधिक (१.१) |
योगी | योगिन् (१.१) |
तस्माद्योगी | तस्मात् (अव्ययः)–योगिन् (१.१) |
भवार्जुन | भव (√भू लोट् म.पु. )–अर्जुन (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | प | स्वि | भ्यो | ऽधि | को | यो | गी |
ज्ञा | नि | भ्यो | ऽपि | म | तो | ऽधि | कः |
क | र्मि | भ्य | श्चा | धि | को | यो | गी |
त | स्मा | द्यो | गी | भ | वा | र्जु | न |