Summary
O son of Prtha ! Know Me as the eternal seed of all beings; I am the intellect of the intellectuals and the brillinace of the brilliant.
पदच्छेदः
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बीजं | बीज (२.१) |
मां | मद् (२.१) |
सर्वभूतानां | सर्व–भूत (६.३) |
विद्धि | विद्धि (√विद् लोट् म.पु. ) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
सनातनम् | सनातन (२.१) |
बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि | बुद्धि (१.१)–बुद्धिमत् (६.३)–अस्मि (√अस् लट् उ.पु. ) |
तेजस्तेजस्विनामहम् | तेजस् (१.१)–तेजस्विन् (६.३)–मद् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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बी | जं | मां | स | र्व | भू | ता | नां |
वि | द्धि | पा | र्थ | स | ना | त | नम् |
बु | द्धि | र्बु | द्धि | म | ता | म | स्मि |
ते | ज | स्ते | ज | स्वि | ना | म | हम् |