Summary
I am the pure smell in the earth; I am also the brilliance in the sun; I am the life in al beings and austerity in the ascetics.
पदच्छेदः
Click to Toggle
पुण्यो | पुण्य (१.१) |
गन्धः | गन्ध (१.१) |
पृथिव्यां | पृथिवी (७.१) |
च | च (अव्ययः) |
तेजश्चास्मि | तेजस् (१.१)–च (अव्ययः)–अस्मि (√अस् लट् उ.पु. ) |
विभावसौ | विभावसु (७.१) |
जीवनं | जीवन (१.१) |
सर्वभूतेषु | सर्व–भूत (७.३) |
तपश्चास्मि | तपस् (१.१)–च (अव्ययः)–अस्मि (√अस् लट् उ.पु. ) |
तपस्विषु | तपस्विन् (७.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
पु | ण्यो | ग | न्धः | पृ | थि | व्यां | च |
ते | ज | श्चा | स्मि | वि | भा | व | सौ |
जी | व | नं | स | र्व | भू | ते | षु |
त | प | श्चा | स्मि | त | प | स्वि | षु |