Summary
Whatever beings are there [in the universe]-whether they are of the Sattva or of Rajas or of Tamas (Strands)- be sure that they are from Me; I am not in them, but they are in Me.
पदच्छेदः
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ये | यद् (१.३) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
सात्त्विका | सात्त्विक (१.३) |
भावा | भाव (१.३) |
राजसास्तामसाश्च | राजस (१.३)–तामस (१.३)–च (अव्ययः) |
ये | यद् (१.३) |
मत्त | मद् (५.१) |
एवेति | एव (अव्ययः)–इति (अव्ययः) |
तान्विद्धि | तद् (२.३)–विद्धि (√विद् लोट् म.पु. ) |
न | न (अव्ययः) |
त्वहं | तु (अव्ययः)–मद् (१.१) |
तेषु | तद् (७.३) |
ते | तद् (१.३) |
मयि | मद् (७.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ये | चै | व | सा | त्त्वि | का | भा | वा |
रा | ज | सा | स्ता | म | सा | श्च | ये |
म | त्त | ए | वे | ति | ता | न्वि | द्धि |
न | त्व | हं | ते | षु | ते | म | यि |