Summary
This is My play (daivi), trick-of-Illusion composed of the Strands and is hard to cross over. Those, who resort to Me alone-they cross over the trick-of-Illusion.
पदच्छेदः
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दैवी | दैव (१.१) |
ह्येषा | हि (अव्ययः)–एतद् (१.१) |
गुणमयी | गुण–मय (१.१) |
मम | मद् (६.१) |
माया | माया (१.१) |
दुरत्यया | दुरत्यय (१.१) |
मामेव | मद् (२.१)–एव (अव्ययः) |
ये | यद् (१.३) |
प्रपद्यन्ते | प्रपद्यन्ते (√प्र-पद् लट् प्र.पु. बहु.) |
मायामेतां | माया (२.१)–एतद् (२.१) |
तरन्ति | तरन्ति (√तृ लट् प्र.पु. बहु.) |
ते | तद् (१.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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दै | वी | ह्ये | षा | गु | ण | म | यी |
म | म | मा | या | दु | र | त्य | या |
मा | मे | व | ये | प्र | प | द्य | न्ते |
मा | या | मे | तां | त | र | न्ति | ते |