Summary
The deluded evil-doers, the vilest men, who are robbed of knowledge by the trick-of-Illusion and have taken refuge in the demoniac nature-they do not resort to Me.
पदच्छेदः
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न | न (अव्ययः) |
मां | मद् (२.१) |
दुष्कृतिनो | दुष्कृतिन् (१.३) |
मूढाः | मूढ (√मुह् + क्त, १.३) |
प्रपद्यन्ते | प्रपद्यन्ते (√प्र-पद् लट् प्र.पु. बहु.) |
नराधमाः | नर–अधम (१.३) |
माययापहृतज्ञाना | माया (३.१)–अपहृत (√अप-हृ + क्त)–ज्ञान (१.३) |
आसुरं | आसुर (२.१) |
भावमाश्रिताः | भाव (२.१)–आश्रित (√आ-श्रि + क्त, १.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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न | मां | दु | ष्कृ | ति | नो | मू | ढाः |
प्र | प | द्य | न्ते | न | रा | ध | माः |
मा | य | या | प | हृ | त | ज्ञा | ना |
आ | सु | रं | भा | व | मा | श्रि | ताः |